यह सच है कि कहानियां इतिहास को लांघती हैं, उसका प्रत्याख्यान करती हैं, कविता और नाटक को अपने भीतर अंतर्भूत करती हैं, नए मिथकों और दंतकथाओं को रचती हैं, कुछ पूर्वनिर्मित छवियों, अंधविश्वासों और आस्थाओं को तोड़ती-फोड़ती हैं और कुछ नई आस्थाओं और छवियों को जन्म देती हैं। हर समर्थ कहानी किसी न किसी पूर्व निर्मित मिथक का विध्वंस और उसके मलबे से किसी नए मिथक का निर्माण करती है। और सबसे बड़ी बात यह कि आज असंख्य पाठक चुपचाप किसी अच्छी कहानी की प्रतीक्षा करते रहते हैं। आज के माध्यम-बहुल समाज में कहानी का एक अपना विशाल उपभोक्ता वर्ग है।
इस संग्रह में संकलित तीनों रचनाएं 'लघु उपन्यास' हैं या 'लंबी कहानियां,' इस 'गंभीर' विमर्श को आलोचकों के जिम्मे छोड़कर पाठक 'कहानियों' की तरह ही इनका आनंद लें।